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ग्वालियर पुलिस की पहल से वर्षों पुराने जमीनी विवाद का हुआ निराकरण।

संदीप शुक्ला – ग्वालियर

  • चार सीएम हेल्पलाइन बंद करवाने गई पुलिस तो वर्षों पुराने ज़मीनी विवाद आधा घंटे में सुलझ गए।
  • जिसे बता रहे थे गुंडा बदमाश उसने पुलिस व पंचों के सामने छोड़ दी ज़मीन।
  • जिस भाई को डाकू बता रहे थे उसने एक सेकण्ड में सड़क किनारे की ज़मीन दान में दे दी।

पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री धर्मवीर सिंह,(भापुसे) द्वारा ग्वालियर जिले के समस्त राजपत्रित अधिकारियों व थाना प्रभारियों को सामुदायिक पुलिसिंग के तहत आमजन से जनसंपर्क बढाने एवं सीएम हेल्प लाईन की लंबित शिकायतों के निराकरण हेतु निर्देश दिये गये हैं। इसी तारतम्य में अति0 पुलिस अधीक्षक शहर (पूर्व/यातायात/अपराध) श्री षियाज़ के.एम,भापुसे द्वारा अपने अधीनस्थ समस्त सीएसपी, एसडीओपी व थाना प्रभारियों को सामुदायिक पुलिसिंग करने एवं सीएम हेल्प लाईन की लंबित शिकायतों को बंद कराने हेतु निर्देशित किया गया। बिजौली थाना के ग्राम जग्गुपुरा के रहने वाले ज्ञान सिंह, नाथू परिहार, रामकुमार परिहार, गुड्डी बाई, रौना बाई, अशोका बाई और दर्शन सिंह परिहार ने अलग-अलग शिकायती आवेदन लेकर एसडीओपी बेहट श्री संतोष कुमार पटेल के समक्ष आये थे, और उनके द्वारा चार सीएम हेल्पलाइन भी लगाई थी। पूर्व में 7-8 साल पहले सगी चाची ने ज़मीन विवाद को लेकर सगे भतीजे राकेश परिहार पर छेड़छाड़ का मुक़दमा भी लगवाया था, जिसमें वह दोषमुक्त हुआ था।

ज़मीन विवाद के मामले को देखने के लिये जब चार पुलिस वालों को लेकर एसडीओपी बेहट श्री संतोष कुमार पटेल जग्गुपुरा गाँव पहुँचे और पुलिस ने हाथ में टेप लेकर नापना शुरू किया तो 15 वर्ष पुरानी बुराइयाँ समाप्त होनी शुरू हो गयी। राकेश परिहार जिसे उसके ही भाई गुंडा बदमाश बोलते थे। उसने सड़क किनारे की ज़मीन भी दान कर दी। बारिश का महीना आते ही गाँवों में ज़मीन विवाद बढ़ने लगते हैं और गाँव छोड़कर शहर में रहने वाले भी गाँव में खेती करने जाते हैं तो लड़ाई झगड़े होते हैं। ऐसा ही एक मामला चक महाराजपुरा थाना हस्तिनापुर का जिसमें तीन भाइयों में से सबसे छोटे भाई व पत्नी की मृत्यु के बाद उसके तीनों बच्चे पढ़ने के लिए शहर में रहने चले गए थे और 15 साल बाद जब गाँव में गए तब न तो रहने के लिए घर दिया और न ही ज़मीन। उसके बाद एसडीओपी बेहट श्री संतोष कुमार पटेल व थाना प्रभारी हस्तिनापुर उनि0 राजकुमार राजावत ने गाँव जाकर बटवारा की बात की तो गाँव व रिश्तेदारों ने एक दिन में सही बटवारा कर दिया। पुलिस द्वारा जमीनी विवाद पर की गई पहल से वर्षों पुराने विवाद का निराकरण हुआ और सभी पक्ष खुश हुए।

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